Day: December 22, 2010

सम्यक्चारित्र

सम्यग्दर्शन तो जीव जन्म के साथ लेकर आ सकता है पर सम्यक्चारित्र तो समझदार होने पर पुरूषार्थ के द्वारा ही आता है । आचार्य श्री विद्यासागर

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पाप और पुण्य

जैसे गरिष्ठ खाना देर में पचकर, रस बनता है, वैसे ही बड़े बड़े पाप और पुण्य देर में फल देते हैं । पं रतनलाल जी

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मंगल आशीष

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