Day: February 17, 2011

मान

दूसरे का ‘स्वाभिमान’ भी ‘अभिमान’ लगता है और अपना ‘अभिमान’ भी ‘स्वाभिमान’ । इसलिये सभी प्रकार के ‘मान’ से सतर्क रहना चाहिये । प्रो. श्री

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मंगल आशीष

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February 17, 2011

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