Month: March 2011

धर्मध्यान/शुक्लध्यान

धर्म ध्यान – कर्म सुखाने के लिये जाडे़ की धूप है,  कर्म काटने के लिये मौथरा शस्त्र ( Blunt ) है। शुक्ल ध्यान – गर्मी की

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Heroes

23rd March  is the Martyrs Day when our heroes BHAGAT SINGH, SUKHDEV & RAJGURU were hanged to death 80 years back in 1931. Mother India

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Smile

If the looser keeps his smile, the winner will loose the thrill of victory. (Mr. Dharmendra)

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भगवान

फ़कीर से एक राजा प्रभावित हो गया। अपने महल में रहने की प्रार्थना की । फ़कीर ने दो शर्तें लगायीं :- मैं जब सोऊँ, तो

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सुख में सुमिरन

जब गाड़ी Smooth दौड़ रही हो, उस समय यदि उसकी Maintenance और उसके Mechanic (भगवान) का ध्यान आ जाये तो बुद्धिमानी है। जब गाड़ी हिचकोले

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मैं कैसा हूँ ?

कुछ लोग कहते हैं कि मैं बुरा हूँ, कुछ कहते हैं कि मैं अच्छा/देवता हूँ, बाकी कहते हैं कि मैं साधारण/मनुष्य हूँ । आखिर मैं

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धर्म की विनय

करैया गाँव के बौहरे जी की हवेली मंदिर के सामने थी । उनका वैभव और यश चरम सीमा पर था, लोग अच्छा काम करने जाने

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संहनन

विद्याधर, मनुष्य, संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच तथा कर्म भूमि के सारे तिर्यंचों के – एक से लेकर 6 संहनन होते हैं। – असंज्ञी तिर्यंच, विकलेंद्रिय, लब्धिपर्याप्तक

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Status

To spend money, we don’t have, To buy things, we don’t need, And to impress people, we don’t know. (Mr. Mehul)

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मंगल आशीष

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March 24, 2011