Month: May 2011
दोष
भविष्य को जानने की इच्छा नहीं, बल्कि अपने दोषों को जानने की लालसा रखो । दोष दूर होंगे तो भविष्य अपने आप सुधर जायेगा ।
धीरज/अधीरता
“धीरज” कमजोर की ताकत है और “अधीरता” ताकतवर की कमजोरी । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Truth
Truth is like surgery, It may hurt, but it cures. And lie is like a pain killer, It gives relief at that point of time
तीर्थंकरों के अवधिज्ञान
तीर्थंकरों में देशावधि ज्ञान जन्म से ही होता है, दीक्षा लेते ही वह सर्वावधि में बदल जाता है। पं. रतनलाल जी बैनाड़ा
मंज़िल
मंज़िल मिल ही जायेगी, भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं, घर से जो निकले ही नहीं । (श्री अंकुश)
दोष-दर्शन
एक व्यक्ति को दोष देखने की आदत थी। गुरू ने कहा जब किसी के दोष दिखें या बोलो तब अपने घर के सामने एक पत्थर
बंधन
रेशम का कीड़ा जब तक खुद अपने ऊपर रेशम के धागे को पूरी तरह से लपेट नहीं लेता, कोई दूसरा उसे ज़िंदा उबलते हुये पानी
उद्वेलना-काल
स.प्रकृति के उद्वेलना काल से स.मिथ्यात्व का काल विशेष अधिक होता है । दर्शनमोहनी की सिर्फ दो प्रकृतियों; मिथ्यात्व और स. मिथ्यात्व की सत्ता असंख्यात
पुण्य क्रियायें
पुण्य क्रियायें रेल्वे की टिकिट हैं, जो आपको गंतव्य तक ले जाती हैं । बाई जी
Motivation/Inspiration
Motivation is an external, temporary high that pushes you forward. Inspiration is a sustainable, internal glow which pulls you forward. (Dr. Sudheer)
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