Day: May 11, 2011
गोत्र-संक्रमण
May 11, 2011
मनुष्य, देव, नारकी के गोत्र-संक्रमण नहीं होता। तिर्यन्च यदि पांचवें गुणस्थान में हो तो किसी किसी के होता है। श्री धवला जी के अनुसार –
जीवन-यात्रा
May 11, 2011
गिलास भर के चलना है। पानी छलके नहीं और गिलास भी पूरा भरा रहे। मुनि श्री अनुभव सागर जी ( जीवन में Balancing बहुत महत्वपूर्ण
Recent Comments