Month: August 2011
श्रवण
प्रवचन कान से नहीं, प्राण से/ध्यान से सुनना चाहिए । जैसे गाली कान से नहीं, प्राण से/ध्यान से सुनते हैं, तभी तो प्रतिक्रिया करते हैं,
दिख़ावा
मंज़िल पे फूल लेके, बहुत लोग खड़े थे । पर किसी के पांव में, छाले नहीं देखे ।।
सकारात्मकता
एक अंधा भिखारी बोर्ड पर यह लिखकर कि ‘मैं अंधा हूँ, मुझे मदद करें’, भीख मांग रहा था । कुछ ही लोग पैसा दे रहे
समय
पहले समय में किसी के पास घड़ी नहीं थी, पर समय था । आज हम सबके पास घड़ियां हैं, पर समय नहीं है । श्री
रौद्र ध्यान
प्रश्न :- देशविरत के रौद्र ध्यान कैसे हो सकता है ? उत्तर :- हिंसा के आवेश से या वैभव के संरक्षण से हो सकता है,
पुण्य
वही पुण्य श्रेष्ठ, जिसके उदय में भगवान की याद/ सामीप्य बढ़े । वह पुण्य निकृष्ट है, जिसके आने पर भगवान को भूल जाये/दूरियां बढ़ें ।
शाश्वत सहारा
ठंड ज्यादा थी सो रज़ाई के ऊपर लोई भी ड़ाल दी गयी । सुबह उठा तो मोटी रज़ाई तो थी, पर पतली लोई हट गयी
ज्ञान
श्री धवला जी के अनुसार, सुज्ञान और कुज्ञान के अलावा तीसरे गुणस्थान में मिश्रज्ञान भी होता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
Mind
When mind is weak, every situation is a Problem, When Mind is balanced, every situation is a Challenge, When Mind is Strong, every situation is
सम्भावना
दूज के चाँद का इतना महत्व क्यों है ? क्योंकि उसमें सम्भावनायें (प्रगति की/पूर्ण चंद्र बनने की) सबसे ज्यादा होती हैं । पं श्री जवाहरलाल
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