Day: August 2, 2011
सम्मूर्च्छन
August 2, 2011
सम्मूर्च्छन मनुष्य लब्धि-अपर्याप्तक ही होता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
गाली
August 2, 2011
गाली बैरंग चिट्ठी है, यदि ले ली तो दुगने पैसे देने पड़ेंगे । गाली का हिसाब विचित्र है , 1+1 = 2 नहीं होते बल्कि “11″
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