Month: August 2011
Path
August 5, 2011
We spend our days waiting for the ideal path to appear in front of us. But what we forget is that paths are made by
प्रमाण
August 5, 2011
जो वस्तु को सर्वदेश जानता है, वह सम्यग्ज्ञान है /प्रमाण है। तत्वार्थ सूत्र – 21
स्थायी ख़ुशी
August 4, 2011
प्रियजनों का सामीप्य मिले तो ख़ुशी मिलती है न ? यदि भगवान को प्रिय बनालो तो हर समय ख़ुशी ही ख़ुशी । चिंतन
बुरा मानना
August 3, 2011
बुरा लगना सामान्य बात है, बुरा मानना बहुत बुरा है । (मानना यानि बुरा मान कर बैठ जाना) बाई जी
सम्मूर्च्छन
August 2, 2011
सम्मूर्च्छन मनुष्य लब्धि-अपर्याप्तक ही होता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
गाली
August 2, 2011
गाली बैरंग चिट्ठी है, यदि ले ली तो दुगने पैसे देने पड़ेंगे । गाली का हिसाब विचित्र है , 1+1 = 2 नहीं होते बल्कि “11″
Reality of life
August 1, 2011
Every one is good to you., till you expect nothing from them…….. And you are too good to them only till you fulfill their expectation
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