Month: August 2011

Path

We spend our days waiting for the ideal path to appear in front of us. But what we forget is that paths are made by

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प्रमाण

जो वस्तु को सर्वदेश जानता है, वह सम्यग्ज्ञान है /प्रमाण है। तत्वार्थ सूत्र – 21

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स्थायी ख़ुशी

प्रियजनों का सामीप्य मिले तो ख़ुशी मिलती है न ? यदि भगवान को प्रिय बनालो तो हर समय ख़ुशी ही ख़ुशी । चिंतन

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बुरा मानना

बुरा लगना सामान्य बात है, बुरा मानना बहुत बुरा है । (मानना यानि बुरा मान कर बैठ जाना) बाई जी

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सम्मूर्च्छन

सम्मूर्च्छन मनुष्य लब्धि-अपर्याप्तक ही होता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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गाली

गाली बैरंग चिट्ठी है, यदि ले ली तो दुगने पैसे देने पड़ेंगे । गाली का हिसाब विचित्र है , 1+1 = 2 नहीं होते बल्कि “11″

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Reality of life

Every one is good to you., till you expect nothing from them…….. And you are too good to them only till you fulfill their expectation

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मंगल आशीष

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August 5, 2011