Month: September 2011

धर्म

धर्म के बारे में सोचा नहीं जाता, बस अधर्म कम करते चले जाओ, धर्म स्वंय जीवन में आता जायेगा । अधर्म का अभाव ही धर्म

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सोच

हमारे आसपास की सब चेतन तथा अचेतन चीज़ों के बारे में सोच यह होना चाहिये कि इन सब के साथ हमारा कुछ समय का करार

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God

My wife treats me like God.! She takes no notice of my existence till she wants something from me. (Mr. Dharmendra)

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विवाह

विवाह के साथ विवाद आते ही हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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उत्साह/खुशी

देव, शास्त्र, गुरु, के पास जितने उत्साह/खुश मन से आओगे, उतनी ही खुशी लेकर जाओगे । मुनि श्री सौरभसागर जी

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Simplicity

How strange it is ……. We wish to wear high fashion brand, but feel comfortable in dirty, old jeans. we wish to own big cars

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श्रवण/स्मरण

धर्म श्रवण भले ही दो घड़ी के लिये करो, पर धर्म स्मरण तो हर समय करते रहो । ( श्री संजय )

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मन

मन भी जहाज का पक्षी है, भाग कर जायेगा कहाँ, वापस आयेगा ही । (बस जल्दी बुला लेना , भटक न जाये) चिंतन

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Trust

Trust is just one word, but it takes – 1 second to read, 1 minute to think, 1 hour to explain, 1 day to feel,

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मंगल आशीष

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September 30, 2011

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