Month: March 2012
Vision/Action
Vision without action is daydream. Action without vision is a nightmare. (Dr. S.M. Jain)
नय और दर्शन
नय दृष्टिकोण का विषय है, दर्शन अभिप्राय का विषय है (कुमति, सुमति दोनों)। पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
पद
पद* में रहो , पद* पर नहीं । (*पद = चरण/Position) चिंतन – श्री लालमणी भाई
धर्म
धर्म में फायदा हो या ना हो, पर घाटा कभी नहीं होता । यह उपवन है यहां मन कभी नहीं लगाना पड़ता । आर्यिका श्री
ज़िंदगी
किस्मत की गाड़ी में कर्म का तेल ड़लता है, मन का ब्रेक सही हो तो, ज़िंदगी का इंजन चलता है । (एक ट्रक के पीछे
पूजापाठ
दुकान खोलते हैं ताकि ग्राहक ज्यादा आयें/फायदा ज्यादा हो । पूजापाठ क्यों करते हैं ? भगवान बनने के लिये या श्रीमान बनने के लिये ?
Soft/Hard
Be soft and cool like water. So, you can adjust anywhere in life. Be hard and attractive like Diamond. So, no one can play with
पूजन
पूज्यों की पूजा, पुजारी बनकर(भिखारी बनकर नहीं), पूज्य बनने के लिये । मुनि श्री उत्तम सागर जी
अचेतन/चेतन
कैसी विडंम्बना है ! अचेतन को हम चेतन के सुख-दुःख का कारण मानते हैं !! जैसे कार से सुख , न होने पर दुःख ।
परोपकार
मशाल बनें, जो स्वंय प्रकाशित होती है तथा दूसरों को भी प्रकाशित करती है । कम से कम, गीली लकड़ी ना बनें जो खुद भी
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