Day: May 21, 2012

आनंद

पहले अनुकूल परिस्थतियों में आनंद से रहना सीखें, फिर प्रतिकूल परिस्थतियों में आनंदित रहने की आदत ड़ालें । तब आप आनंद से परमानंद की ओर

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शुद्ध द्रव्य

द्रव्यों में उत्पाद व्यय/षटगुणी वृद्धि हानि, अगुरूलघु गुण की अपेक्षा से है । पं रतनलाल बैनाड़ा जी

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मंगल आशीष

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May 21, 2012