Day: August 16, 2012

अविपाक निर्जरा

अविपाक निर्जरा पहले गुणस्थान में भी संभव है । जब जीव सम्यग्दर्शन के सम्मुख खड़ा तो यानि करणलब्धि में हो तब । पं.रतनलाल बैनाड़ा जी

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सुविधा

सुख हो लेकिन शांति ना हो, तो समझना कि हम सुविधा को गलती से सुख समझ रहे हैं । (श्री धर्मेंद्र)

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मंगल आशीष

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August 16, 2012