Month: September 2012
बटवारा
दो भाईयों में बटवारा एक कीमती शीशे को लेकर अटक गया, कौन ले ! गुरू के पास गये,उन्होंने शीशे को पटक दिया, दरार पड़ गयी
Happiness
The key to happiness is not that you never get Angry, Upset, Frustrated, Irritated or Depressed, but its how fast you decide to get out
योगी/भोगी
समय के साथ – योगी का चेहरा सौम्य और सुंदर होता जाता है, भोगी का चेहरा विकृत और असुंदर होता जाता है । उपाध्याय श्री
मृत्यु / समाधि
मृत्यु में साँसें समाप्त हो जातीं हैं, इच्छाऐं रह जातीं हैं । समाधि में इच्छाऐं समाप्त हो जातीं हैं, साँसें रह जातीं हैं ।
Truth
All the right things are not always possible. All the possible things are not always right. Be true to your heart, You will never go
मोह/रागद्वेष
मोह जननी है, रागद्वेष संतति । चिंतन मोह ही संसार का बीज भी है । क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी
द्रष्टि
भगवान की द्रष्टि नासा* पर होती है और हमारी आशा पर । यही तो उनके सुख और हमारे दु:ख का कारण है । * अपनी
Pride & Shame
Live life like a pair of walking legs… The foot forward has no pride and the foot behind has no shame… Because both know their
निदान
इस आर्तध्यान से जीव मिथ्याद्रष्टि हो जाता है । श्री धवला जी – 6/501
जीना
अतीत में जीना मोह है, भविष्य में जीना लोभ है और वर्तमान में जीना कर्मयोग है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
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