Month: October 2012

भ्रम

भ्रम के चार प्रसंग – 1. अहंकार 2. ममकार 3. करतत्व 4. भोगत्व आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी

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वर्गणाओं का काल

तैजस वर्गणाओं का काल – जघन्य – एक समय उत्कृष्ट – 66 सागर कार्मण वर्गणाओं का काल – जघन्य – एक समय उत्कृष्ट – 70

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आत्मज्ञान

ऐसा मत बोलो कि मैंने सत्य को पा लिया है, ऐसा कहो मैंने एक सत्य को पा लिया है| श्री खलील ज़िब्रान

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शब्द

शब्द पर अटकने के बजाय, उसके आशय पर जाओ । शब्द में इतनी सामर्थ कहाँ कि शब्द के आशय का पूर्ण बखान कर सके ।

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Success

If we don’t learn any lesson from our failure, we have no right to succeed in our life. (Mr. Dharmendra)

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भाग्य/पुरूषार्थ

पेन की स्याही भाग्य है, उसके द्वारा अच्छा/बुरा लिखा गया पुरूषार्थ है । चिंतन हमारी माँ…चिंतन

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अनहोनी

अनहोनी कभी होती नहीं, होनी कभी रुकती नहीं । (श्री वी. के. जैसवाल)

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Relationship

All beautiful relationship does not depend on how well we understand someone.. But… It depends on how well we manage the misunderstandings. (Mr. Dharmendra)

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निर्मलता

बच्चों पर कामदेव भी असर नहीं करता । बच्चों जैसे निर्मल बन जायें तो विकार नहीं आयेंगे । आर्यिका सोहार्दमति जी

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मंगल आशीष

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October 13, 2012