Month: December 2012

Satisfaction/Success

In Life, own satisfaction is better than success, because success is a measure decided by others, while satisfaction is a measure decided by us. (Mr.

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ध्यान

संयत ज्ञान ही ध्यान है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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रूप

रावण ने सीता को अपनाने के लिये जब अपना रूप राम का रखा, तब उसने कहा – “राम कौ रूप बनावत ही, मोहे मात सी

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Behavior

Behavior is sometimes greater than knowledge. Because there are many situations, where knowledge fails, but behavior can handle everything. (Mr. Dharmendra)

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दर्शन/ज्ञान

आत्मा जानने का प्रयास करती है उसे दर्शन कहते हैं । वह कौन सा दर्शन है यह तय होता है कि ज्ञान कौन सी इंद्रिय

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बेईमानी/अधर्म

हम ईमानदारी निभा नहीं पाते, सो ईमानदारी की परिभाषा ही अपने अपने अनुसार बदल लेते हैं । धर्मानुसार चल नहीं पाते, सो धर्म का रूप

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साधू

हमारे मुनिराज धन ना होने पर भी निर्धन नहीं हैं, अपितु रत्नत्रयी* रूपी धन से धनी हैं । (श्रीमति रिंकी) ॰ सच्चे देव गुरू तथा

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Love

Love gives nothing but itself and takes nothing but from itself. Love possesses not, nor would it be possessed. Love has no other desire but

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संतुष्ट

जो स्वंय से असंतुष्ट हों वो दूसरों को कभी भी संतुष्ट नहीं कर सकते हैं ।

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मंगल आशीष

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