Day: April 9, 2013

भावकर्म

भावकर्म, भावाश्रव, भावबंध सब चेतन हैं । कषाय आदि आत्मा के भाव चेतन ही हुये न ! पं श्री रतनलाल बैनाड़ा जी

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पुण्य

चित्त की प्रसन्नता/पवित्रता ही पुण्य है । आचार्य श्री विभवसागर जी

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मंगल आशीष

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April 9, 2013