Day: November 5, 2013

द्रव्येंद्रिय

निर्वृत्ति – रचना/बनावट आभ्यंतर – आत्मप्रदेश बाह्य – इंद्रियों का आकार/रचना उपकरण – निर्वृत्ति का उपकार करने वाली आभ्यंतर – जैसे नेत्रों का सफेद मंड़ल बाह्य

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सांस/साथ

ज़िंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं : “सांस” और “साथ” “सांस” टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;

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मंगल आशीष

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November 5, 2013

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