Month: April 2014

मौत

“मौत को तो मैंने कभी देखा नहीं, पर वो यकीनन बहुत खूबसूरत होगी । कमबख्त जो भी उससे मिलता है, जिंदगी जीना ही छोड़ देता

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Anger

The ‘Result of Anger’ is more painful than the ‘Reason of Anger’… Never forget these words to lead a Peaceful Life…!

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गुरू

शुद्ध घी तो घर का ही होता है, निकालना भी आता है, पर प्रमाद और समयाभाव से बाज़ार से लेते हैं । गुरू महनत करके

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समतल

हमें समतल होना होगा (कमजोरियों के गड़्ड़े भरने होंगे, घमंड़ के टीले ढ़हाने होंगे) तभी समता भाव आयेगा – प्रिय/अप्रिय से, सुख दु:ख में स्थिरता

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मतिज्ञान

मतिज्ञान वैभाविक गुण है । (कुमतिज्ञान और सुमतिज्ञान दोनों) पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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दौड़

पेंट शर्ट पहनना क्यों छोड़ दिया ? Race में दौड़ने वाले Uniform में रहते हैं, दर्शक दीर्घा में बैठने वाले नहीं । चिंतन

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मौत

साधूजन मौत को मौसी मानते हैं । श्री नवजोत सिंह सिद्दू

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Desire

Do not ask God , what you desire but ask what you deserve. You may deserve more than what you desire ! (Mr.Deepak Jaiswal)

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हवस

सेठ हुकुमचंद्र जी के सात मिल थे, आठवें मिल खोलने से पहले उन्होनें अपनी पत्नी से सलाह ली । पत्नि – सात मिल सात नरक

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मंगल आशीष

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April 30, 2014