Month: April 2015

आजकल धर्म

आज के युग में धर्म से ज्यादा, धैर्य कम हुआ है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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छदमस्थ

छदमस्थ किन गुणस्थानों में मानें ? श्रावक – 1 से 5 तक, मुनि – सरागी – 6 से 10 तक, वीतरागी – 11, 12, गुणस्थानवर्ती

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निंदा

निंदा तो उसी की होती है, जो जिंदा है, मरे हुए की तो बस तारीफ ही होती है। (दिव्या-लंदन)

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सत्य

सत्य है कि लड़के ने रोटी चुराई, महासत्य है कि लड़का भूखा था ।

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भूचाल

दो दिनों से भूचाल का कहर देख रहे हैं, पीड़ितों के प्रति सद्भावना तथा उनकी सहायता करें, विचारें – भूमि अपना स्वभाव छोड़कर जब चलने

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विरोध

कचरे की गाड़ी निकलने पर कोई ऐतराज नहीं करता, पर ऊपर वाले का जलूस निकलने पर, नीचे वाले लोग, एक दूसरे का विरोध करते हैं

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ख़ुदा

यदि ख़ुदा नहीं है, तो उसका ज़िक्र क्यों ? और अगर ख़ुदा है, तो फ़िक्र क्यों ?? (श्री अरविंद)

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सामर्थ

लकड़ी जितनी ज्यादा जले, उतना तेज प्रकाश और ताप । कागज जले तो राख । चिंतन

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सप्तम गुणस्थान

क्या विहार/प्रवृत्ति में भी सप्तम गुणस्थान होता है ? परिहार विशुद्धि में 6 व 7 गुणस्थान होते हैं । 6 व 7 गुणस्थानों के काल

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मंगल आशीष

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April 30, 2015