Month: June 2015
भक्ति
June 4, 2015
संगीत में जब भक्ति मिल जाती है तो भजन बन जाता है, जल चरणामृत, भूख उपवास।
आत्मा/शरीर
June 3, 2015
अपने को आत्मा मानोगे तो परमात्मा मिलेंगे, शरीर मानोगे तो शरीर मिलेंगे / मिलते ही रहेंगे । चिंतन
जीवन
June 2, 2015
जीवन एक दर्पण है, यदि तुम मुस्कराओगे तो वह भी मुस्करायेगा। (दिव्या-लंदन)
कषाय – बंध/उदय
June 2, 2015
बंध तो 4 कषायों तक का एक साथ हो सकता है, पर उदय एक-एक का । मुनि श्री कुंथुसागर जी
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