Month: June 2015

भक्ति

संगीत में जब भक्ति मिल जाती है तो भजन बन जाता है, जल चरणामृत, भूख उपवास।

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आत्मा/शरीर

अपने को आत्मा मानोगे तो परमात्मा मिलेंगे, शरीर मानोगे तो शरीर मिलेंगे / मिलते ही रहेंगे । चिंतन

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जीवन

जीवन एक दर्पण है, यदि तुम मुस्कराओगे तो वह भी मुस्करायेगा। (दिव्या-लंदन)

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कषाय – बंध/उदय

बंध तो 4 कषायों तक का एक साथ हो सकता है, पर उदय एक-एक का । मुनि श्री कुंथुसागर जी

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मंगल आशीष

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June 4, 2015