Day: July 2, 2015

कृतज्ञता

पाँव सूखे पत्तों पर, अदब से रखना, धूप में माँगी थी तुमने पनाह इनसे कभी। (डा.मनीष)

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मतिज्ञान

इसमें पूर्णज्ञान होता है (धारणा तक) आभास नहीं, जातिस्मरण भी इसी से । श्रुतज्ञान आगे का विश्लेषण । मुनि श्री निर्वेगसागर जी

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मंगल आशीष

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July 2, 2015