Month: January 2016

संसार के दु:ख

पं श्री जगमोहनलाल जी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा – आपको वैराग्य कैसे हुआ ? आचार्य श्री – आप लोगों के चेहरों को

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धर्मध्यान

अपाय विचय “कारण” है, उपाय विचय “करण” है । धर्मध्यान के 4 भेदों में दोनों पर्यायवाची/एक भेद कहे गये हैं, 10 भेदों में अलग अलग

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बड़े

बड़े की पहचान – छोटी छोटी बातों से खुश नहीं, नाराज़ नहीं ।

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प्रभावना

दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश में अपनी आत्मा अप्रभावित हो जायेगी ।

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अहंकार/विनय

गंगाजल याचना की अंजुली में ही आता है, अहंकार की मुठ्ठी तो खाली ही रहती है ।

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भारतीय सभ्यता

इंग्लैंड में चाय पीते समय एक ब्रिटिश ने स्वामी विवेकानंद से कहा…… “सभी लोग कप से चाय पी रहे हैं और आप असभ्य की तरह

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भक्त / भिखारी

भिखारी थोड़े पैसे माँगता है, पर वह भी नहीं मिलते । भक्त बिना माँगे ही, मालामाल हो जाता है ।

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लोभ

आवश्यक के प्रति आकर्षण भी लोभ है । मुनि श्री कुंथुसागर जी

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मंगल आशीष

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January 31, 2016