Month: March 2016
पूजा / सेवा
पूजा श्रद्धा का विषय है, सेवा संवेदना का । श्रद्धा के साथ संवेदना और प्रबल व श्रेष्ठ हो जाती है ।
निश्चय नय और आस्रव
निश्चय नय से आस्रव की परिभाषा नहीं बनती, क्योंकि निश्चय नय शुद्ध को ही विषय करता है । पाठशाला
सम्पदा
सम से सम्पदा बना, यानि अपने और दूसरों के माध्यम से अर्जित की जाती है । अत: इसका उपयोग भी दोनों के लिये होना चाहिये
चिंतन
किस रूप का चिंतन करें ? अपने उस रूप का, जो तुम किसी के सामने प्रस्तुत नहीं करते हो/बिना मुखौटे वाला ।
बदलाव
बदलावों से नयी अनुभूतियाँ होती हैं । भीतर के बदलाव के लिये बाह्य का परिवर्तन जरूरी है । भाव बनाने के लिये शादी, सेना, पूजा
विड़म्बना
इंसान भी कैसा अजीव है …! जीते समय सोचता है कि कभी मरुँगा नहीं, मरते समय लगता है जैसे कभी जीया ही नहीं । (सुरेश)
मुहूर्त
मुहूर्त तो शादी (फंसने) के लिये देखा जाता है, तलाक (निकलने) के लिये नहीं । मुनि श्री कुंथुसागर जी
होली
1) हो-ली…जो बीत गयी सो बात गयी। 2) हो-ली…मैं धर्म की हो-ली। 3) Holy…Purity. (Neelam)
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