Day: September 23, 2016

उम्मीद

उम्मीदों से बंधा एक ज़िद्दी परिंदा है इनसान , जो घायल भी उम्मीदों से है, और ज़िंदा भी उम्मीदों पर है । (मंजू)

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विस्रसोपचय

वर्गणाऐं जो कर्मरूप परिवर्तित होने को तैयार खड़ीं हैं, आत्मा में प्रवेश करने को तैयार खड़ीं हैं । जैसे मच्छरदानी में घुसने को मच्छर तैयार

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मंगल आशीष

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September 23, 2016

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