Month: October 2016
निद्रा
October 31, 2016
निद्रा आती तभी है जब साता + निद्रा कर्म का उदय साथ साथ होता है । क्षु. ध्यानसागर जी
परिणति
October 31, 2016
भीति, प्रीति, प्रतीति होने पर जीवन की परिणति सुधरती जाती है/जीवन का उत्थान हो जाता है ।
दीपावली
October 30, 2016
हमेशा होली (राग द्वेष की कीचड़) रही है, एक बार दिवाली (ज्ञान का प्रकाश) आ जाये , तो होली आयेगी ही नहीं/ होली हो ली
अच्छे लोग
October 27, 2016
अच्छी किताबें, और अच्छे लोग…! तुरंत समझ में नहीं आते, उन्हें पढ़ना पड़ता है । (मंजू)
आचार / विचार
October 26, 2016
आचार – धर्म है, विचार – अध्यात्म है । क्षु. श्री ध्यानसागर जी
संगति
October 25, 2016
लुहार अग्नि जलाने पर उसे नमन करता है, पर उसी अग्नि को लोहे की संगति लेने पर पीटता है ।
अगुरूलघु
October 24, 2016
अशुद्ध जीवों में यह कर्मरूप होता है और शरीर को अति भारी/हल्का नहीं होने देता, शुद्ध द्रव्यों में यह गुणरूप होता है और षटगुणी हानि
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