Month: October 2016

निद्रा

निद्रा आती तभी है जब साता + निद्रा कर्म का उदय साथ साथ होता है । क्षु. ध्यानसागर जी

Read More »

परिणति 

भीति, प्रीति, प्रतीति होने पर जीवन की परिणति सुधरती जाती है/जीवन का उत्थान हो जाता है ।

Read More »

दीपावली

हमेशा होली (राग द्वेष की कीचड़) रही है, एक बार दिवाली (ज्ञान का प्रकाश) आ जाये , तो होली आयेगी ही नहीं/ होली हो ली

Read More »

नियति

जो होता है, सही होता है, जो होना होता है, वही होता है ।

Read More »

अच्छे लोग

अच्छी किताबें, और अच्छे लोग…! तुरंत समझ में नहीं आते, उन्हें पढ़ना पड़ता है । (मंजू)

Read More »

संगति

लुहार अग्नि जलाने पर उसे नमन करता है, पर उसी अग्नि को लोहे की संगति लेने पर पीटता है ।

Read More »

अगुरूलघु

अशुद्ध जीवों में यह कर्मरूप होता है और शरीर को अति भारी/हल्का नहीं होने देता, शुद्ध द्रव्यों में यह गुणरूप होता है और षटगुणी हानि

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

October 31, 2016

October 2016
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930
31