Month: April 2017

मीठे बोल

समय बहाकर ले जाता है… नाम और निशान, कोई “हम” में रह जाता है, कोई “अहम्” में । बोल मीठे ना हों तो हिचकियाँ भी

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Trouble

We can’t stop troubles from coming towards us. But We can make sure that we do not offer them chairs to sit on. (Parul-Delhi)

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दर्शनावरण/ज्ञानावरण

दर्शनावरण को द्वारपाल का तथा ज्ञानावरण को पर्दे का उदाहरण इसीलिये दिया गया है क्योंकि पहले द्वारपाल रोकता है (दर्शन भी पहले) फ़िर अंदर पहुँचने

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संस्कार

पानी जब तक हाथ में है तब तक कैसा भी आकार दे दो; छूटने के बाद क्या आकार लेगा, कोई नहीं जानता । श्री रत्नसुंदर

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पराक्रम / प्रेम

छोटी उँगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठाने वाले, श्री कृष्ण, बाँसुरी दोनों हाथों से बजाते थे । बस इतना ही अंतर है, पराक्रम और प्रेम

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अज्ञानी

बच्चा समझाने पर भी विषफल वापस नहीं देता है । श्री हरिवंश पुराण

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अनुभूति

अनुभूति का संबंध जाति/पर्याय से नहीं है ; ज्ञानी को नहीं, अंर्तज्ञानी को होती है ।

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कर्म / धर्म

मुख्यत: कर्म से वैभव, धर्म से संतोष और शान्ति । सो अन्तरंग में धर्म रखकर कर्म करो, खटकर्म से दूर रहो ।

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पहली कमाई

पहली कमाई परमार्थ में लगाना चाहिए । (जैसे गाय का पहला दूध प्रयोग नहीं करते ) चिंतन

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मंगल आशीष

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April 30, 2017