Month: April 2017
केवली के कर्म क्षय
63 प्रकृतियों का नाश करके केवलज्ञान (47 घातिया + 3 आयु + 13 नामकर्म) । प्रश्न : 3 आयु थीं, जिनका नाश किया ? नहीं,
माँ / गुरु
माँ जन्म देती है, सो उपकारी; गुरु जन्म,जरा,मृत्यु से छुटकारा दिलाने का रास्ता दिखाते हैं, सो परम-उपकारी ।
घमंड
घमंड से अपना सर ऊँचा न करें, जीतने वाले भी अपना गोल्ड मैडल सिर झुका के हासिल करते हैं..! (सुरेश)
संगति
कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते हैं, हम ! और फिर पूरी उम्र, गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है !! (सुरेश)
अर्थोपार्जन / अर्थ-पुरुषार्थ
पैसा तो चोर डाकू भी कमा लेते हैं, इसे अर्थोपार्जन कहेंगे; नीति से कमाया धन अर्थोपार्जन नहीं, अर्थ-पुरुषार्थ कहलाता है ।
नियम
नियम सब हमने बनाए हैं ताकि हम बने रह सकें, लेकिन हो यह रहा है कि नियम तो बनते जा रहे हैं लेकिन हम टूटते
लोभ / तृष्णा
लोभ : वर्तमान का नष्ट न हो जाए, तृष्णा : भविष्य में और और आए ।
दर्शन/सम्यग्दर्शन
दर्शन – दर्शनावरण के क्षयोपशम से, सम्यग्दर्शन – दर्शन मोहनीय के क्षय/उपशम/क्षयोपशम से । दर्शन – सामान्य देखना, सम्यग्दर्शन – सच्चा देखना । पाठशाला
संयम
यम आने से पहले अपने विकारों के लिए संयम के हथियार लिए, ख़ुद यम बन जाओ ।
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