Day: May 27, 2017

शीशा देने वाला

जब भी मैं रोया करता, माँ कहती… ये लो शीशा, देख इसमें कैसी तो लगती है ! रोनी सूरत अपनी, अनदेखे ही शीशा मैं सोच-सोचकर

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मंगल आशीष

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May 27, 2017