Month: July 2017
वर्गणाऐं
वर्गणाऐं एक सी होती हैं पर पाप/पुण्य से उनमें विशेषता आ जाती है । जैसे काले शरीर में नोकर्म वर्गणाऐं काली बनकर आयेंगी, गोरे के
श्रद्धा
जहाँ मन टिक जाए, उस पर श्रद्धा होती है । जिस पर श्रद्धा होती है, उस पर मन लगता है । क्षु. श्री ध्यानसागर जी
चिंतामणी / धर्म
चिंतामणी से जो माँगो, मिल जाता है । पर धर्म से तो बिना माँगे, सब कुछ मिल जाता है ।
इच्छा / अपेक्षा
इच्छाओं के निरोध का पहला कदम है – दूसरों से अपेक्षा कम करते हुए, समाप्त करना । सरल को पहले tackle करना/गरम खिचड़ी के बाहर
कष्ट / इष्ट
मोक्षमार्ग कष्टप्रद ? इष्ट पर द्रष्टि हो तो कष्ट कैसा ! जैसे तिल से तेल निकालना, पाषाण से स्वर्ण आदि ।
ग्रहों का प्रभाव
ग्रह/नक्षत्र ऊर्जा पिंड़ हैं । इनकी गति से वातावरण के अवयवों की Chemistry बदलती रहती है । हमारे शरीर में भी वे ही अवयव हैं,
साम्प्रदायिकता
धर्म/संप्रदाय तो अलग अलग होंगे ही, क्योंकि विश्वास/संस्कार सबके अलग अलग होते हैं, उनको ऊपर उठाने में आपत्ति नहीं । पर दूसरे धर्मों को गिराना
सिद्धों की संख्या
आकाश से सिद्ध बनने वालों से धरातल के नीचे से संख्यात गुणे तथा उनसे भी संख्यात गुणे धरातल से । श्री हरिवंश पुराण (आकाश से
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