Day: October 5, 2017
इबादत
October 5, 2017
कितने मसरूफ़ हैं हम ज़िंदगी की कशमकश में ! “इबादत” भी जल्दी में करते हैं, फिर से गुनाह करने के लिए। (धर्मेंद्र)
कितने मसरूफ़ हैं हम ज़िंदगी की कशमकश में ! “इबादत” भी जल्दी में करते हैं, फिर से गुनाह करने के लिए। (धर्मेंद्र)
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