Month: July 2018
संज्ञी
यदि कोई जीव संज्ञी बनने जा रहा है तो विग्रह-गति तथा अपर्याप्तक अवस्था में कहलायेगा तो संज्ञी पर बनेगा तब जब पर्याप्तक हो जायेगा। पं.
दर्द की दवा
हर दर्द की दवा है इस ज़माने में साहब, “बस” किसी के पास कीमत नहीं, किसी के पास किस्मत नहीं..!! 🙏🏻 सुरेश 🙏🏻
एकत्व
हम किसी के साथ रहते हैं/चलते हैं, यह संयोग है । वह हमें सहयोग देता है तो उसे हम साथी कहते हैं । पर क्या
सुख
सांसारिक सुख की तासीर – 1. समय/मात्रा/संख्या के साथ घटता है । 2. सुख देने वाली वस्तु से अलगाव अवश्यंभावी होता है । 3. सुख
पर्याय अनश्वर
पूरे दिन में एक घंटा धर्म करने वाले अपने आपको Permanently धर्मात्मा मानने/कहने/कहलवाने लगते हैं । अनंतकाल की तुलना में एक वर्तमान मनुष्य पर्याय/वैभव आदि
मनोबल
मनोबल बढ़ाने के लिये – 1. रूढ़ियों से हटना होगा 2. दृष्टि को सच्चे रास्ते (देव, शास्त्र, गुरू) पर बनाये रखना 3. स्वाध्याय 4. सुसंगति
अन्य मतों की लोकप्रियता
जिन मतों में विचारात्मकता की प्रमुखता है वे लोकप्रिय हो रहे हैं । जैन धर्म में आचारात्मकता की प्रमुखता है, इसलिये बहुमत को कठिन लगता
उल्टी बुद्धि
ऐसी बुद्धि वाले Valley की Shape को ही पहाड़ मानने लगते हैं (Shape तो”V” की ही है, उल्टी ही सही )
पंथ व्यामोह
ग्रहीत मिथ्यात्व, देव और गुरु से भी बड़ा होता है । महावीर भगवान के जीव ने 363 मत चलाये पर महावीर बनने के बाद उन्होंने
सदुपयोग / दुरुपयोग
समय पर किया गया कार्य – सदुपयोग समय निकल जाने के बाद किया गया कार्य – दुरुपयोग
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