Month: August 2018
रिश्ते
एक लाज़वाब बात जो एक पेड़ ने कही…. हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे, फिर भी हवाओं से बदलते नहीं रिश्ते मेरे। (दिव्या)
अविरत सम्यग्दर्शन
इसमें निर्जरा ऐसे समझें…… जैसे शादी के समय तो बाजे बजते हैं, बाद में खुद के बाजे बज जाते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी
इंसान
🌨🌳🌨🕉🌨🌳🌨 सुखी होने के चक्कर में जो पूरी जिंदगी दुखी रहता है…… उसी का नाम इंसान है । 🙏 सुरेश 🙏
भ्रम
स्पर्श, रस, गंध और वर्ण पुदगल में हैं और आत्मा उसे आत्मसात कर अपने में मान रही है ! (खुद को शरीर मान बैठी है)
मायाचारी
एक खेत में देवता रहता था । किसान उसमें खेती करने गया तो दोनों में साझेदारी का सौदा हो गया । देवता ने नीचे की
कालद्रव्य
कालद्रव्य सूक्ष्म भी है (निश्चय से), बादर भी है (व्यवहार से) । मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
एकलव्य / अर्जुन
इनमें से कौन बड़ा ? जिन्हें गुरु प्राप्त नहीं होते, उनमें एकलव्य बड़ा, जिन्हें गुरु प्राप्त होते हैं, उनमें अर्जुन बड़ा । मुनि श्री सुधासागर
प्रदर्शन
आओ देखो, जो तुम्हारे पास नहीं है, मेरे पास है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
Recent Comments