Month: September 2018

नियम संशोधन

नियम लेने के बाद पता लगे कि वह आगम विरुद्ध है, तो 108 बार णमोकार मंत्र पढ़कर सुधार लें । क्षु. श्री ध्यानसागर जी (यदि 

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भक्ति

भक्ति क्यों नहीं हो पाती ? क्योंकि हम पापों पर विश्वास करते हैं, पुण्य पर नहीं । श्री राम वनवास जाते समय प्रसन्न इसलिये थे

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उपकरण पर मांगलिक

उपकरणों पर स्वास्तिकादि  बनाकर, पूजा पूर्ण होने पर मिटाने में दोष नहीं । वे उपकरण मंगल नहीं, थोड़े समय के लिये मांगलिक बनाये जातेे हैं 

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जाप में मन

जाप में मन इसलिये स्थिर नहीं रहता क्योंकि हम बाकी समय उसे तेजी से चलाते रहते हैं जैसे तेज पंखा देर में रुकता है ।

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चारित्र

सम्यग्दृष्टि यदि चारित्र ना ग्रहण करे तो अनंतकाल तक भटकेगा । मिथ्यादृष्टि चारित्र धारण कर ले तो निकट सुगति । चा. च. आ. श्री शांतिसागर

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दु:ख में व्यवहार

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जब कभी समस्या में होते हैं तो खूब हँसते/हंसाते हैं, जैसे सुदामा ने अपनी परेशानियाँ श्री कृष्ण को पूछने पर

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साधु

श्रावक तो सम्यग्दृष्टि हो सकता है पर साधु तो अनेक श्रावकों के लिये सम्यग्दर्शन का निमित्त है, इसलिये इनको अपना आचरण निर्दोष रखना ही होगा

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मंगल आशीष

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September 15, 2018

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