Month: November 2018

कुभोग भूमि

कुभोग भूमि में भी तिर्यंच जोड़े से होते हैं । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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रिश्ते

उलझे जो कभी मुझसे तो, आप सुलझा लेना; रिश्ते का एक सिरा, आपके हाथों में भी तो है.. 🙏🏻 सुरेश 🙏🏻

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श्रमण / श्रावक

श्रावकों के 8 मूलगुण काल के साथ परिवर्तित होते रहे हैं, पर श्रमण के 28 मूलगुण चौथे काल से पंचमकाल के अंत तक Same हैं

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क्रोध

क्रोध आपका ऐसा हुनर है… जिसमें फंसते भी आप हैं, उलझते भी आप हैं, पछताते भी आप हैं और पिछड़ते भी आप हैं। (शैलेन्द्र)

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अनुदय / संक्रमण

संक्रमण परिवर्तन की क्रिया जैसे साता असाता में, अनुदय संक्रमण करके उदय में आना, जैसे अनंतानुबंधी अप्रत्याख्यानादि में परिवर्तित होकर उदय में आना । पं.

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रिश्ते

पहले लोग भावुक होते थे, रिश्ते निभाते थे, फिर practical हुए, रिश्तों से फायदा उठाने लगे, अब professional हैं, रिश्ते उनसे ही रखते हैं, जिनसे

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धर्म / संसार

संसार (भव) सागर है, धर्म आक्सीजन सिलेण्डर, जिसके सहारे संसार में धंसे हुये भी निकल सकते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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पौरुष

सीख उस समन्दर से.. जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है । 🙏🏻 सुरेश 🙏🏻

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श्रावक/मुनि धर्म

श्रावक धर्म मुख्यत: क्रियात्मक, मुनि धर्म मुख्यत: भावात्मक । मुनि श्री विनिश्चयसागर जी

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पक्षपात

जंगल कट रहा था, लेकिन फिर भी सारे पेड़ कुल्हाड़ी को ही वोट दे रहे थे, क्योंकि पेड़ समझते थे कि कुल्हाड़ी में लगी हुई

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मंगल आशीष

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