Month: November 2018
विरक्ति / संयम
विरक्ति – पापों से बचना, संयम – प्रवृति में सावधानी । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
परिणाम
परीक्षा हमेशा अकेले में होती हैं.. लेकिन उसका परिणाम सबके सामने होता है। इसलिए कोई भी कर्म करने से पहले परिणाम का जरूर विचार करलें
पुण्योदय / पुरुषार्थ
आचार्य श्री का यश पुण्योदय से नहीं, उनके पुरुषार्थ/तप से फैला है । मुनि श्री सुधासागर जी
धोखा
मनुष्य को धोखा मनुष्य नहीं देता, बल्कि वो उम्मीदें धोखा देती हैं, जो वो दूसरों से रखता है। 🌹🌹शैलेन्द्र🌹🌹
भरत पुत्रों का ना बोलना
चूंकि वे नित्य-निगोद से आये थे, पूर्व के संस्कार ही नहीं थे रागद्वेष/बोलने के, इसीलिये भी वे नहीं बोलते थे । मुनि श्री सुधा सागर
मुनि दीक्षा
अंगभंग/गूँगे/बहरों को दीक्षा नहीं दी जाती है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
साधना / तप / ध्यान
साधना – मन को साधना, तप – इच्छा निरोध, ध्यान – एक विषय पर एकाग्रता । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
तीर्थंकर प्रकृति उदय
इसकी स्थिति अंत:कोड़ाकोड़ी सागर होती है । आबाधा काल अंतर्मुहूर्त । परमुख उदय तो अंतर्मुहूर्त बाद, पर स्वमुख 13वें/14वें गुणस्थान में । ज्ञानशाला
व्यक्तित्व
व्यक्तित्व की गहराई को यदि ऊँचाई से नापने की कोशिश करोगे, तो माप गलत होगा ।
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