Month: November 2018

चमत्कार

चमत्कार से चमत्कृत न हों, सबसे बड़ा चमत्कार, नमस्कार से घटित होता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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शक्तितस तप

शक्ति से ज्यादा तप/धर्म जैसे बिच्छू के काटे का तड़प तड़प कर मरना, शक्ति से कम… सांप के काटे का मदहोश मरना । मुनि श्री

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ज्ञान / ध्यान

बहुत पढ़ना ज्ञान का विषय है, बार बार पढ़ना ध्यान का, जैसे माला जपना । मुनि श्री सुधासागर जी

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मूर्ति पर फन

मूर्ति पर फन, बेलादि दिखने पर पूज्यता कम नहीं होती, क्योंकि बेलादि तपस्या के प्रतीक हैं, रागादि के नहीं । वैसे भी ये पूर्व/महान आचार्यों

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संगति

मोम ताप के Source से दूर होने पर भी पिघलने लगता है, लाख पास आने पर, सोना चमकता है, मिट्टी पक जाती है ।

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शुद्ध-स्वरूप

शुद्ध-स्वरूप के स्तवन से – 1. निशंकित-अंग 2. अमूढ़-दृष्टि आती है 3. जिन-प्रभावना होती है ब्र.सविता दीदी

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कषाय

एक रेत का कण, खीर का आनंद समाप्त, एक छोटी सी दुर्गंध पूरे वातावरण को दूषित, नीम का बीज भी कड़ुवा होता है । कषाय

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समवसरण से लौटना

भरत चक्रवर्ती के तो निद्यती/निकाचित कर्म लौटाने के कारण थे, उन्हें भोग भोगने ही थे । सामान्यजन मोहवश लौटते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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स्वभाव

जिसे निमित्त प्रभावित ना कर सके । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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