Month: November 2018

न्याय शास्त्र

तर्कों के द्वारा आत्मा के अस्तित्व को जिन शास्त्रों में सिद्ध किया जाता है । मुनि श्री सुधासागर जी

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पाप क्रियाओं के लिये धर्म

पाप क्रियाओं के लिये धर्म करने से सफलता तो मिलेगी पर उसका अंत-फल सही नहीं आयेगा, जैसे रावण का अंत-फल । मुनि श्री सुधासागर जी

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शुभोपयोग

शुभोपयोग उपादेय नहीं, उपयोगी है । मुनि श्री सुधासागर जी

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धर्म में धन

धन, धर्म-प्रभावना में आवश्यक, धर्म-साधना में बाधक । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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आत्म-सुख

खुशी में हंसते हुये आँखें बंद हो जाती हैं, दु:ख/भय में और खुल जाती हैं । सही तो है – जब बाहर से दृष्टि अंदर

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शोभायात्रा

विधानादि के बाद शोभा-यात्रा इसका प्रतीक है कि इतने दिनों हम सब धर्म-मार्ग पर चले, अब उस धर्म-प्रभावना को Cultivate कर रहे हैं तथा संकल्प

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बसंत

“बसंत आ गया”, याने “बस अंत आ गया” सही है, बसंत (जीवन का यौवन) के बाद तो ढ़लान शुरु हो जाती है, अंत की ओर

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निर्वाण लाडू

सिद्धशिला के आकार का (आधा नीबू), शुद्ध शक्कर का (निर्वाण में अब मिलावट नहीं रह गयी), मीठा – खुशी का प्रतीक, ऊपर कपूर/दीपक – निर्वाण

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समस्यायें

समस्यायें ऊँटों के समूहों जैसी होती हैं – कुछ अपने आप बैठ जाते हैं, कुछ बिठाने से, कुछ बैठते ही नहीं तथा कुछ बैठ कर

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मंगल आशीष

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November 10, 2018

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