Month: December 2018

मूर्ति/साधु शुद्धता

साधु का शरीर औदारिक होता है, इसलिये बिना सोले के कपड़ों में भी छू सकते हैं । भगवान का शरीर परमऔदारिक, इसलिये उनकी मूर्ति को

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Conclusion

Jumping to conclusion, does not make for happy landing; delay in conclusion, does make for crash landing.

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अभिषेक और श्री

पांड़ुक-शिला पर “श्री” ही बनायें, क्योंकि अभिषेक श्रावकों की क्रिया है और श्रावकों को तो दोनों प्रकार की “श्री” चाहिये । वापस वेदी पर विराजमान

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सवाल / जबाव

मैं तो बस एक मामूली सा सवाल हूँ, साहिब..! और लोग कहते हैं.. “तेरा… कोई जवाब नहीं….” (मंजू)

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द्विदल

भोजन में 3 पदार्थों का प्रयोग होता है – काष्ठ, तेल युक्त (जैसे तिलादि), और अन्न । द्विदल दोष दही के साथ सिर्फ दलहन दाल

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क्रोध

क्रोध आपका ऐसा हुनर है… जिसमें फँसते भी आप हैं, उलझते भी आप हैं, पछताते भी आप हैं और पिछड़ते भी आप हैं  । (शैलेन्द्र)

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सम्यग्दृष्टि

सम्यग्दृष्टि की दो अलोकिक शक्तियाँ – 1. भेदविज्ञान जो उन्हें संभाल कर रखता है, 2. वैराग्य उन्हें सही दिशा देता है । मुनि श्री प्रमाणसागर

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इज्ज़त

अच्छे लोगों की इज्ज़त कभी कम नहीं होती; सोने के सौ टुकड़े करो, फिर भी कीमत कम नहीं होती । 🌹 सुरेश 🌹

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पुण्यात्मा / पापात्मा

मुनि भी अपने को पापात्मा मानते हैं, तभी पुण्यात्मा बनने की प्रक्रिया में संलग्न रहते हैं । पर अपने आपको पापात्मा पहचानने वाला, (इस अपेक्षा

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तारीफ़ / ख़ुशामद

तारीफ़ और ख़ुशामद में एक बड़ा फ़र्क है… तारीफ़ आदमी के “काम” की होती है, और ख़ुशामद “काम” के आदमी की ! 🙏🏻 सुरेश 🙏🏻

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मंगल आशीष

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