Month: December 2018
संस्कार क्रियायें
श्री आदिपुराण 38वें अध्याय में गर्भ के पहले से लेकर मोक्ष तक की 53 संस्कार क्रियाओं का वर्णन किया है ।
आहार
आ.श्री विद्यासागर जी ने आहार में एक पंड़ित जी के हाथ से कोई चीज़ नहीं ली पर दूसरे व्यक्ति से ले ली । पंड़ित जी
पुरुषार्थ
सच्चा पुरुषार्थ पुण्य कमाना नहीं, पुण्यवान बनने में है; और ऐसा करने वाला पुण्यजीव होता है, यह सम्यग्दृष्टि ही कर सकता है । मिथ्यादृष्टि जीव
अपराध / सज़ा
अपराधी को सज़ा से पाप कर्म कट भी सकता है और बढ़ भी सकता है । (अपराधी की मनःस्थिति के अनुसार)
विनय मिथ्यात्व
सच्चे डॉक्टर की सलाह ना मानकर, यदि सारे Chemists की, सारी दवायें खा लो, तो फायदा करेंगी या नुकसान ! मुनि श्री सुधा सागर जी
मान
मान कम करने का एक कारगर तरीका… जिस क्षेत्र में मान है, उस क्षेत्र के अपने से बड़े के सानिध्य में रहो।
अरिहंत/जिनबिंब
नवदेवताओं में जब अरिहंत को ले लिया तो फ़िर जिनबिंब को क्यों लिया ? श्रीमति अरूणा अरिहंत भावों की अपेक्षा, जिनबिंब द्रव्य की अपेक्षा ।
भगवान / गुरु
भगवान/गुरु, वे नहीं जो भक्तों से राग करते हों, बल्कि वे जो दुश्मनों से द्वेष ना करते हों ।
मूल / शेष गुण
मुनियों के शेष 7 गुण (निर्ग्रंथ, केशलोंच, खड़े होकर आहारादि), इसके साथ ही 28 मूलगुण बनते हैं जैसे मूलगुण में अपरिग्रह, शेष गुण की निर्ग्रंथता
चमत्कार
जल भगवान पर ड़ाला जाता है, शीतलता भक्त को, विकार भक्त के धुलते हैं ।
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