Month: March 2019
व्रत / प्रवृत्ति / निवृत्ति
प्रवृत्ति – अहिंसा का पालन, निवृत्ति – हिंसा छोड़ना, व्रत – प्रवृत्ति/निवृत्ति में सहायक । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
विनय
मुनि, भगवान के आगे “108”, “1008” लिखा/कहा जाता है, पर जिनवाणी के आगे क्यों नहीं ? मुनि/भगवान जीवंत है जबकि जिनवाणी भगवान/मुनियों की पर्याय है ।
शरणागत
डॉक्टरी में एक और महत्वपूर्ण शिक्षा दी जाती है – Case बिगड़ने पर Expert Specialist को कब/समय रहते बुलाना होगा । हमको भी यह मालूम
भव्यता
निकट-भव्य, गुरुवचन/जिनवाणी पर पूर्ण विश्वास करता है, दूर-भव्य शंका करता है, अभव्य विपरीत श्रद्धा करता है । मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
संयम / तप
संयम बाड़ है, पापों को रोकने के लिये । तप अग्नि है, उन्हें जलाने के लिये, पर पुण्य सबसे अंतिम समय में जलते हैं ।
अड़चनें
झरनों से इतना मधुर संगीत कभी न सुनाई देता, अगर राहों में उनके पत्थर न होते । 🌷🎄 सुरेश 🌷🎄
कल्पवृक्ष
कल्पवृक्ष तो एक इंद्रिय होते हैं, उन्हें कैसे पता चलता है कि माँगने वाले को क्या चाहिये ? वांछित वस्तु मांगने वाले के पुण्य से
पुरुषार्थ
गड्डे में गिरे व्यक्तियों में से पहले किसको निकाला जाता है ? जो खड़ा होता है, फिर जो बैठा होता है, अंत में जो लेटा
आहार दान
1. वैयावृत्ति – यदि रत्नत्रय की की साधना के भाव से दिया जाये । 2. औषधिदान – यदि (सबसे बड़ा रोग) भूख निवारण के भाव से दिया
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