Month: June 2019
समवसरण में समाधान
समवसरण में समाधान स्वत: नहीं होते, दिव्यध्वनि सुनकर होते हैं । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
जिनमंदिर
ये नवदेवता में तो हैं पर देव-दर्शन का विकल्प नहीं हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Present
वर्तमान को “Present ” क्यों कहते हैं ? क्योंकि Every day is a gift.
चत्तारिदंडक
1) चत्तारिदंडक में साधु को ही क्यों लिया, आचार्य/उपाध्याय को क्यों नहीं ? चूँकि साधु ही दीक्षित होते हैं, आचार्य/उपाध्याय की दीक्षा नहीं, उनका तो
अनेकांत
दोनों हाथ प्रयोग करें तो वंदना, एक हाथ का प्रयोग थप्पड़ मारना । चिंतन
सच्ची विनय
सच्ची विनय नय-ज्ञान से ही आती है । तब किसी एक पक्ष के प्रति आग्रह नहीं रह जाता है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ – जो श्रेष्ठ कार्य करता है, परम श्रेष्ठ – जिसका नाम (गुरु/भगवान) लेने से कार्य श्रेष्ठ हो जाते हैं ।
पुण्य छोड़ना
पाप छोड़ने के लिये व्रत लिये जाते हैं, क्या आजतक किसी ने मोक्ष जाते समय महाव्रत छोड़े हैं ! या महाव्रत स्वत: छूट जाते हैं
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