Month: July 2019
देव, शास्त्र, गुरु
ये भी तत्व हैं । 7 तत्वों पर श्रद्धा करने से सम्यग्दर्शन होता है, ऐसे ही देव,शास्त्र,गुरु पर श्रद्धा से सम्यग्दर्शन होता है । ब्र.संजीव
मुमोक्षु
जो छोड़ने/छूटने का इच्छुक हो । (यदि मोक्ष का इच्छुक मानें तो ८वें गुणस्थान से मुमोक्षु परिभाषा घटित नहीं होगी ) मुनि श्री प्रमाणसागर जी
ज्ञान / विवेक / श्रद्धा
ज्ञान से हित अहित की जानकारी होती है, विवेक से हित अहित में फर्क कर पाते हैं, श्रद्धा विवेक पैदा करती है । (गिरराज भाई)
अंतराय
वैसे तो अंतराय शुभ-क्रियाओं के रोकने पर बंधता है, पर अशुभ के रोकने पर भी मान लिया जाय तो भी फायदा ही है क्योंकि भविष्य
धन और धर्म
धन से धर्म कमाना (करना) अच्छा, धर्म से धन कमाना बुरा । अत: धन बुरा नहीं, यदि धन से धर्म कमाया जाय तो । मुनि
सूतक में धर्म
नवजात शिशु को माँ णमोकार आदि उच्चारण कर सकती है, मार्ग नहीं है पर विशेष परिस्थिति है । मुनि श्री सुधासागर जी
सुख
सृष्टि* कितनी भी परिवर्तित हो जाए फिर भी हम पूर्ण सुखी नहीं हो सकते, परंतु दृष्टि थोड़ी सी भी परिवर्तित हो जाए तो हम पूर्ण
प्रातिहार्य
दिव्य-ध्वनि तो हर समय खिरती नहीं है, तो उस समय 7 प्रातिहार्य मानें ? दिव्यध्वनि की उस समय योग्यता तो रहती है, सो 8 प्रातिहार्य
ज़िन्दगी
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे, क्योंकि जिसकी जितनी ज़रूरत थी, उसने उतना ही पहचाना मुझे; बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अकसर,
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