Month: July 2019
आ. नेमीचंद्र चक्रवर्ती
आ. नेमीचंद्र को चक्रवर्ती इसीलिये कहा क्योंकि उन्होंने षटखंड़ागम के छहों खंड़ों पर विजय प्राप्त की थी । मुनि श्री सुधासागर जी
आत्मा / परमात्मा
आत्मा भी अंदर है, परमात्मा भी अंदर है । तो आत्मा के परमात्मा से मिलने का रास्ता भी तो अंदर ही होगा न ! अतः
नकली दांत
नकली बत्तीसी/दांतो के साथ आहार/अभिषेक कर सकते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
Fair and Open
People really like to be measured when measurement is fair and Open.
पुण्य-कर्म
पुण्य-कर्म को क्षय करने के लिये मन बनाना होगा, संक्लेश भाव होंगे, उससे पाप-बंध होगा, तो क्या पुण्य समाप्त करने के लिये पाप करोगे !
दस्तूर
आज “ज़िस्म” में जान है तो देखते नहीं हैं लोग, जब “रूह” निकल जाएगी तो कफ़न हटा हटा कर देखेंगे । 💐💐 सुरेश 🙏🙏
गत्यागति
गत्यागति का मापदंड़ लेश्या है । इसीलिये मिथ्यादृष्टि भी नौवें ग्रेवियक तक जा सकता है । मुनि श्री सुधासागर जी
औक़ात
इंसान के ग़ुरूर की औक़ात बस इतनी सी है… ना पहली बार ख़ुद नहा सकता है, ना आख़िरी बार । (श्रीमति शर्मा)
भगवान
जिसके संसार में आने/जाने/घर और संसार से निकलने, सब में उत्सव ही उत्सव (कल्याणक) होते हों । आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्म-सिध्दान्त
अगर इंसान छाँव देने वाले वृक्षों की कद्र ना करे, तो धूप उसका नसीब बन जाती है । (मंजू …🙏🏻)
Recent Comments