Month: August 2019
उदीरणा
साधारणजन पुण्यों की उदीरणा करने में लगे रहते हैं, साधु पापों की । चिंतन
Learning
It is not possible to know what you need to learn, unless Guru guides you.
संक्लेश/विशुद्ध स्थान
यदि आपके भाव 1 से 100 तक परिणमित होते हैं तो 51 से 100 को विशुद्ध और 1 से 50 तक के भावों को संक्लेश
शनि / मनी
शनि से मन को, मनी से दिमाग को कैसे बचायें ? काले (शनि का), पीले (सोना) कामों से बचें ।
बंध
तीर्थंकर प्रकृति बंध में मुख्य भावना – लोककल्याण, चक्रवर्ती में अक्षय-दान, कामदेव में निर्विचिकित्सा । मुनि श्री सुधासागर जी
विश्वास
डॉक्टर के पर्चे को ना समझें/समझ आयेगा भी नहीं, डॉक्टर को समझो/डॉक्टर पर विश्वास करो । गुरु/भगवान की बातें तो कम ही समझ पाओगे सो
दया / अनुकंपा
दया बाह्य, अनुकंपा अंदर से फूटती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
धर्म
किसी ने कहा – “बचपन में बुढ़िया मर गयी”, यानि ! मरने से कुछ साल पहले उसने धर्म में प्रवेश किया था । सावधान !!
एकत्व/अन्यत्व
एकत्व = मैं अकेला हूँ, अन्यत्व = मैं सबसे अकेला हूँ । एकत्व से ही अन्यत्व भावना आती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
शून्य
शून्य का कोण 360 ड़िग्री यानि पूर्ण/पूर्णता का प्रतीक । इसे हीन (Zero) दृष्टि से ना देखें । व्यवहार में भी यह शून्य जिस अंक
Recent Comments