Month: August 2019
मूर्ति की वीतरागता
अकलंक स्वामी ने मूर्ति पर धागा, उन्हें परिग्रही बनाने के लिये ड़ाला था सो उसकी पूज्यता नहीं रही । अभिषेक करते समय कपड़ा रह जाय
समता
समतल भूमि पर चलना आसान, समतल खेत में पैदावार अधिक । समता भाव से परिवार, देश भी सुचारू रूप से चलते हैं ।
योग / उपयोग
योग – (प्राय:) बाह्य अवयवों का हिलना-डुलना, उपयोग – अंतरंग के विकल्प । श्री समयसार जी – पेज – 107
व्रत / संयम
व्रत – बाह्य, कुछ का, पापों से निवृति के लिए, मुख्य लाभ पुण्य; संयम – आंतरिक, वृहत क्षेत्र, मुख्य लाभ निर्जरा । सकल संयम –
सत्य / असत्य
सत्य सूली पर चढ़कर (मृत्यु के बाद) भी जीवित रहता है, असत्य सिंहासन पर बैठकर भी अमर नहीं होता ।
निर्जरा
वेदन हो पर वेदना ना हो, उसे निर्जरा कहते हैं । (भाभी-माँ के देह त्याग पर – लालमणी भाई)
प्रेम / मोह
प्रेम समरसता से साथ रहना, मोह जिसके बिना न रहा जाय । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
कर्ता / उपादान / निमित्त
क्रोध आया, इसमें कर्ता आदि को कैसे घटित करें ? क्रोध करती है आत्मा, निमित्त है कर्म, साधन – अपशब्द कहने वाला । कर्ता दो
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