Month: September 2019

असाता

असाता को निर्झरित करने के लिये मुनि उसकी उदीरणा करके/उदय में लाकर/सहते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी (क्योंकि पंचमकाल में ऐसा घोर तप तो

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Belief

If you don’t believe in yourself, then how can you expect others to believe you ?

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मुनि/मोक्ष पद

मुनि पद/मोक्ष पुण्योदय से नहीं, विशुद्धता बढ़ाने तथा कर्मों के क्षय करने से मिलता है । मुनि श्री सुधासागर जी

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चित्त / मन

चित्त अचेतन, मन चेतन । हालाँकि धर्म में इनको अलग अलग नहीं माना है । (कृपया comments भी देखें)

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कर्ता

निश्चय-नय से जिस वस्तु में परिणमन होता है, वही वस्तु उस परिणमन की कर्ता भी होती है । 1. शुद्ध निश्चय-नय से शुद्ध भावों का

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धागा / मोती

माला में धागा, मोती से ज्यादा महत्व रखता है, पर उसमें गठानें नहीं होना चाहिये वरना मोतीयों में बिंध नहीं पायेगा/ उनको बांधकर नहीं रख

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कर्म

कर्म स्वतंत्र पदार्थ है, पर जीव को परतंत्र कर देता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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समर्पण

समर्पण यानि इच्छाओं का अर्पण । समर्पण से नदी सागर बन जाती है । संसार में समर्पण उसे करें जो विश्वासघात ना करे, वह भी

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व्यवहार-नय

क्या जिनेन्द्र देव ने व्यवहार-नय का वर्णन किया है ? वर्णन तो व्यवहार-नय से ही होता है । ज्ञानशाला

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मंगल आशीष

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