Month: September 2019

घाति/अघाति कर्म

घाति कर्म लेनदेन नहीं करते, सिर्फ घात करते हैं । अघाति लेनदेन करते हैं, घात नहीं करते हैं ।

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नसीब

ज़रूर कोई तो लिखता होगा… कागज़ और पत्थर का भी नसीब… वरना ये मुमकिन नहीं कि… कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान बन

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मोह

मोह रूपी असावधानी से/अपनी ही सांसों से, अपना ही दीपक बुझ जाता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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आधि / व्याधि / उपाधि

आधि – रागादि को अपना मानना, रागादि को आत्मा का स्वरूप मानना । व्याधि – शरीर को अपना मानना । उपाधि – “पर” पदार्थ को

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धर्म / कर्म

धर्म आत्मा का स्वभाव है, कर्म किये का फल । दोनों को अलग अलग रखें । धर्म तो मंगलाचरण हैं – कार्य करने से पहले,

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पुरुषार्थ

पुरुषो पुरुषार्थ करो । काम और अर्थ जोड़ने के पुरुषार्थ से मोक्ष दूर होता है । (धर्म सेतु का कार्य करता है ) आचार्य श्री

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दिल और दिमाग

अक्सर हार जाता हूँ… उन लोगों से…… जिनके, दिल में भी दिमाग होता है । 🌹(अरविंद)🌹

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आचरण

पिंजरा तो खुल गया परंतु पंख ही न खुले तो क्या होगा ? दीपक तो जल गया परंतु आँख ही न खुले तो क्या होगा

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मंगल आशीष

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September 20, 2019

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