Month: September 2019

त्याग

त्रैकालिक उपयोग के लिये त्याग/तपस्या की आवश्यकता होती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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रिश्ते

रिश्ते हों या बर्फ…दोनों को बनाने और बनाये रखने के लिये… ठंड रखनी बहुत जरूरी है । (सुरेश)

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नय

“पर” को अपना कहना – लोक व्यवहार की भाषा है । Local Language में ही तो दूसरों को समझ आयेगा/दूसरे आपको समझ पायेंगे । पर

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क्षमा भाव

■ संसार के सब जीवों (मनुष्य, पशु, पेड़ पौधे) को unconditional क्षमा, सब से unconditional क्षमा । ■ “श्री” भगवान के नाम से पहले 1008

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ज्ञानी

1. 4 गुणस्थान वाले सम्यक्ज्ञानी 2. समयसारानुसार – आत्मलीन ही ज्ञानी, बाकि मिथ्यादृष्टि (तो समयसार मानने वाले अपने आप को सम्यक्ज्ञानी कैसे कह सकते हैं)

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मोक्ष प्राप्ति

मोक्ष जानने की प्रक्रिया जानने मात्र से मोक्ष नहीं मिलेगा । सीढ़ियाँ खुद ही चढ़नी होंगी, अंतिम सीढ़ी पर अंतरमन के लिये खड़ा रहना होगा

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उत्तम ब्रम्हचर्य

●ब्रम्हचर्य • पाँचों इंद्रियों के संयम को कहते हैं; • स्त्रीयों के सम्मान में है; • असुंदर/कुरूप के प्रति घ्रणा न होना ब्रम्हचर्य है ।

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अरहंत-भक्ति

इससे ही भीतर बैठे होनहार अरहंत-पद की पहचान होती है, अपने आप से नहीं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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उत्तम आकिंचन्य

• आकिंचन्य = किंचित भी मेरा नहीं । • पूर्ण त्याग के बाद जो बचा, वह आकिंचन्य । • बाज़ार में एक से बढ़कर एक

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मंगल आशीष

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