Month: October 2019
भक्ति
देवता भक्ति में मनुष्य से आगे हैं, पर 4 भक्ति मनुष्यों के लिये – अरहंत, प्रवचन, आचार्य, श्रुत भक्ति, जिनसे तीर्थंकर प्रकृति का बंध भी
भगवान की शरण
शनि, मनी और दुश्मनी उन्हीं को प्रभावित करते हैं… जो चिंतामणी की शरण में नहीं रहते । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
13वें गुणस्थान में लेश्या
13वें गुणस्थान में लेश्या, योग की चंचलता/पूर्व कषाय के कारण होती है । इसलिये उपचार से लेश्या कहा है । मुनि श्री सुधासागर जी
बटुआ और आदमी
बटुआ उधारी के पैसों से भी फूल जाता है, हालाँकि आदमी के पास भी सब कुछ उधारी का है/थोड़े समय के लिये है, पर आदमी
महाव्रती के पुण्य/निर्जरा
महाव्रत से निर्जरा । महाव्रती की शेष कषायों की पृष्ठभूमि में चिंतन से पुण्यबंध । ज्ञानशाला
सिद्ध-भक्ति
सिद्ध भगवान की भक्ति से सम्यग्दर्शन होने की संभावना अधिक होती है । (क्योंकि अपना वास्तविक स्वरूप दिखता है/उस पर विश्वास होता है – ज्ञानशाला)
ज़िद / द्रढ़ता
द्रढ़ संकल्प सच्चे लक्ष्य के प्रति होता है, ज़िद अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए होती है, इसीलिये कहते हैं कि ज़िद्दी रद्दी होता है ।
प्राणी / जीव
प्राणी – जो प्राणवान हो, जीव – जो जीता हो । श्री आदिपुराण जी
वक़्त
वक़्त का इंतज़ार करके, वक़्त बर्बाद मत करो, वक़्त का सदुपयोग करके, अपना वक़्त सुधार लो ।
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