Day: December 18, 2019

असंख्यात गुणी निर्जरा

5वें गुणस्थान और आगे तो निरंतर असंख्यात गुणी निर्जरा, पर सम्यग्दृष्टि के भी अच्छे भावों के साथ णमोकार/पूजा/स्वाध्याय के समय भी हो सकती है ।

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मान्यतायें

मान्यतायें सबकी अलग अलग हो सकती हैं । सही/गलत का निर्णय प्रयोग (चारित्र) से ही हो सकता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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December 18, 2019

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